सलाम है उस मां को
सलाम है, उस मां को को
पुत्र ऐसा ,जन्म दिया
फिक्र किए बिना ,अपनी
सेना में ,उसको भेज दिया
कभी कैंटीन का सामान
तो कभी हथकरघा साड़ी
आने से पहले ही
पिता लेता सीना तान
घर आते ही, लग जाता
है लोगों की, लंबी ताता
कोई चुपके से, दारू मांगता
कोई लड़की का, फोटो दिखाता
सब लोगों ने, खूब मनाया
घर में आया ,छपकर कार्ड
लॉकबंदी ने ,लगाया अड़ंगा
शादी की तैयारी हो गई ,बेरंगा
एक फोन कॉल ने आग लगाई
वापस सैनिक ,घर नहीं आया
मां का सपना टूट गया
गलवान घाटी में ,बेटा रूठ गया
वीरों के घर लगने लगे मेले
सब ने आंसू बहाया, वह तो
भारत माँ का कर्ज निभाकर,
तिरंगा ओढ़ कर सो गया
सलाम है ,उस मां को
दूसरे बेटे को, सेना में भेजने की
कसम खायी है, देशभक्ति की
झंडा फिर से लहराई है.
डा० प्रभात कुमार प्रवीण